8 हिंदी वसंत

भगवान के डाकिये

रामधारी सिंह दिनकर

पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचतेहैं।



पक्षीऔरबादलकीतुलनाकविनेभगवानकेडाकियेसेकीहै।चिड़ियोंऔरबादलोंकीदुनियाकीकोईसीमानहींहोतीहैऔरवेएकमहादेशसेदूसरेमहादेशमेंआसानीसेआतेजातेहैं।उनकेद्वारालाईचिट्ठियोंमेंक्यालिखाहोताहैयहसमझनामनुष्यकेवशकीबातनहींहै।लेकिनपेड़,पौधे,पानीऔरपहाड़उनकीचिट्ठियोंकोपढ़पातेहैं।तभीतोबादलआनेकीखुशीमेंपेड़झूमनेलगतेहैंऔरचिड़ियोंकेआनेपरउनकीपूरीमेहमाननवाजीकरतेहैं।

हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

हमारीसमझमेंएकबातअवश्यआतीहैऔरवोयेकिएकदेशकीधरतीअपनीसुहानीखुशबूदूसरेदेशकोभेजतीहै।वहखुशबूचिड़ियोंकेपंखोंपरसवारहोकरहीजातीहै।बादल अपने साथ दूर देश का पानी लाते हैं।इसतरहसेएकदेशकाभापदूसरेदेशमेंपानीबनकरबरसताहै।इन पंक्तियों में कवि ने बहुत ही गूढ़ बात कही है।पानी हमारी मूलभूत जरूरतों में से एक है।पानीकेलिएदोराज्योंयादेशोंमेंअक्सरबड़ेविवादउठखड़ेहोतेहैं।अगरबादलद्वारालायेगयेसंदेशकोहमसहीतरीकेसेसमझेंतोहममानवताकेआपसीझगड़ेकोकमकरसकतेहैं।




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