कबीर की साखियाँ
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
किसीसाधुकीजातियाधर्मसेकिसीकोकोईमतलबनहींहोनाचाहिए,बल्किउसकेज्ञानसेमतलबहोनाचाहिए।जैसेमोलभावतलवारकाकरनाचहिएनाकिउसकीम्यानका।युद्धमेंतलवारकीउपयोगिताहोतीहै,म्यानचाहेलाखरुपयेकीहोयाएकरुपयेकीयुद्धमेंबराबरहोतीहै।
आवत गारी एक है, उलटत होई अनेक।
कह कबीर नहीं उलटिए, वही एक की एक॥
कोईयदिआपकोगालीयाबद्दुआदेतोउसेउलटनानहींचाहिए,क्योंकियदिकिसीकीगालीआपस्वीकारनहींकरेंगेतोवहखुदबखुदवापसगालीदेनेवालेकेपासचलीजायेगी।यदिआपनेउलटकेगालीदेदीतोइसकामतलबहैकिआपनेउसकीगालीभीलेली।कोईयदिआपसेबुरीबातेंकहताहैतोउसेचुपचापसुनलेनेमेंहीभलाईहै,बहसकोबढ़ानेसेमनकाक्लेशबढ़ताहै।
माला तो कर में फिरैं, जीभ फिरै मुख माहीं।
मनवा तो दहू दिस फिरै, यह तो सुमिरन नाहीं॥
कबीर दास को ढ़ोंग से सख्त नफरत था।जोआदमीमालाफेरकमुंहमेंमंत्रपढ़ताहैवहसच्चीपूजानहींकरताहै।क्योंकिमालाफेरनेकेसाथमनभीदसोंदिशाओंमेंभटकताहै।
कबीर घास न नींदिये, जो पाऊँ तलि होई।
उड़ी पड़े जब आंखि में, खरी दुहेली होई॥
घास का मतलब तुक्ष चीजों से है।कोईभीछोटीसेछोटीचीजयदिआपकेपाँवकेनीचेभीहोतोभीउसकीनिंदानहींकरनीचाहिए।क्योंकितिनकाभीयदिआँखमेंपड़जाएतोबहुततेजदर्ददेताहै।हरछोटीसेछोटीचीजकाअपनामहत्वहोताहैऔरहमेंउसमहत्वकोपहचाननेकीकोशिशकरनीचाहिए।
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय॥
यदिआपकामनशांतरहताहैतोआपकीकिसीसेकभीभीदुश्मनीनहींहोसकतीहै।यदिआपअपनेअहंकारकोत्यागदेंतोहरआदमीआपकोप्रेमऔरसद्भावनासेहीदेखेगा।