8 हिंदी दूर्वा

ओस

सोहनलालद्विवेदी

हरी घास पर बिखेर दी हैं
ये किसने मोती की लड़ियाँ?
कौन रात में गूँथ गया है
ये उज्जवल हीरों की कड़ियाँ?

जाड़ेकेमौसममेंसुबहसुबहओसकीबूँदेंऐसेलगरहीहैंजैसेकिसीनेहरी——हरीघासपरमोतीकीलड़ियाँबिखेरदीहै।याऐसालगताहैजैसेकिसीनेचमकतेहीरोंकीकड़ीबनादीहो।



जुगनू से जगमग जगमग ये
कौन चमकते हैं यों चमचम?
नभ के नन्हे तारों से ये
कौन दमकते हैं यों दमदम?

जबसूरजकीकिरणेंओसकीबूँदोंपरपड़तीहैंतोवेअसंख्यजुगनुओंकीभांतिचमकतेहैं।आप उनमें आसमान के तारों की दमक भी देख सकते हैं।

लुटा गया है कौन जौहरी
अपने घर का भरा खजाना?
पत्तों पर, फूलों पर, पगपग
बिखरे हुए रतन हैं नाना।

पत्तों,फूलोंऔरकदम——कदमपरइसतरहकेनानाप्रकारकेरतनबिखरेहुएहैंजैसेकिसीजौहरीनेअपनापूराखजानालुटादियाहो।

बड़े सबेरे मना रहा है
कौन खुशी में ये दिवाली?
वन उपवन में जला दी है
किसने दीपावली निराली?

कविकोऐसालगताजैसेबागबगीचोंमेंकोईसैंकड़ोंदीपजलाकरसबेरेसबेरेदिवालीमनारहाहै।

जी होता इन ओस कणों को
अंजलि में भर, घर ले जाऊँ
इनकी शोभा निरख निरख कर
इन पर कविता एक बनाऊँ।

आखिरमेंकविओसकीनैसर्गिकसुंदरतासेइतनाअभिभूतहोगयाहैकिउसकीइक्षाहोरहीहैकिउन्हेंअपनीअंजलिमेंभरकरघरलेजाए।घरमेंवहउनकीशोभाकोबारीकीसेदेखकरउनपरएकसुंदरसीकवितालिखनाचाहताहै।




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