जंगल बुक पार्ट 3:
बाघआया

बाघआया

हिंदीअनुवाद

अजयआनंद

अबहमफिरसेवहाँचलेंगेजहाँपरपहलीकहानीसमाप्तहुईथी।आपकोयादहोगाकिकिसतरहभेड़ियोंकीसभामेंहंगामाहोनेकेबादमोगलीअपनेपरिवारकोछोड़करपासकेगाँवकीओरनिकलपड़ा।लेकिनवहउसगाँवमेंनहींरहसकताथाक्योंकिजंगलपासमेंहीथाजहाँउसकासबसेबड़ादुश्मनशेरखानरहताथा।इसलिएमोगलीआगेबढ़गयाऔरपथरीलेढ़लानपरतेजीसेचलरहाथा।

वहलगभगबीसमीलचलनेकेबादएकऐसेगाँवमेंपहुँचाजिसकेबारेमेंउसेकुछनहींमालूमथा।घाटीकेखत्महोनेकेबादमैदानीइलाकाशुरुहोताथाजहाँथोड़ीबहुतशिलाएँथींऔरबरसातीनदियाँथीं।उसमैदानकीएकओरएकछोटासागाँवदिखाईपड़रहाथातोदूसरीओरमोगलीकाचिरपरिचितजंगल।

वहजंगलऐसेअचानकसेसमाप्तहुआलगरहाथाजैसेकिसीनेहलचलाकरउसकीसीमाबाँधदीहो।पूरे मैदान में गाय, भैंस और बकरियाँ चर रही थीं।छोटे-छोटे लड़के उन मवेशियों को हाँक रहे थे।जबउन्होंनेमोगलीकोदेखातोवेडरकेमारेचिल्लातेहुएभागगये।एक पीले रंग का आवारा कुत्ता भूँकने लगा।इसतरहकेआवाराकुत्तेअक्सरभारतकेगाँवोंयाशहरोंमेंदिखजातेहैं।मोगली को भूख लग रही थी।इसलिए वह इन सबकी परवाह किये बिना आगे बढ़ता रहा।जबवहगाँवकेगेटपरपहुँचातोउसनेदेखाएकबड़ीसीकाँटेदारझाड़ीगेटसेहटाकररखीगईथी।मोगलीकोपताथाकिइसतरहकीकाँटेदारझाड़ियोंसेगाँवकेलोगशामहोतेहीगेटबंदकरदेतेहैं।

मोगलीकोकईबारऐसीझाड़ियोंकासामनाकरनापड़ाथाजबकभीभीवोरातमेंभोजनकीतलाशमेंगाँवोंकीओरगयाथा।वह मन ही मन बुदबुदाया,तो यहाँ के लोग भी जंगल के जानवरों से डरते हैं।वह उस गेट के पास ही बैठ गया।जबवहाँपरएकआदमीआयातोमोगलीनेअपनेमुँहकीतरफइशाराकियाताकिवोसमझजायेकिमोगलीभूखाथा।उसआदमीनेचकितहोकरमोगलीकोदेखाऔरअंदरगलीकीओरभागगया।वह गाँव के पुजारी को आवाज लगा रहा था।पुजारी गेट तक आया।वह एक मोटा और लंबा आदमी था।उसनेसफेदकपड़ेपहनेहुएथीऔरउसकीललाटपरलालऔरपीलातिलकलगाथा।पुजारी के साथ लगभग सौ आदमी भी थे।सभीमोगलीकोघूररहेथे,चिल्लारहेथेऔरमोगलीकीओरइशारेकररहेथे।

मोगलीमनहीमनबोला,“लगताहैइनइंसानोंकोजराभीतमीजनहींहै।केवल बंदर ही ऐसा बर्ताव कर सकते हैं;जैसाकियेकररहेहैं।”मोगलीनेअपनेलंबे——लंबेबालोंकोपीछेकीओरझटकाऔरभृकुटितानकरउन्हेंदेखनेलगा।

पुजारी ने कहा,अरे इससे डरने की कोई बात नहीं है।देखोतोइसकेहाथऔरपैरोंपरकिसतरहकेनिशानहैं।ये तो भेड़ियों के काटने के निशान हैं।लगताहैकियेबच्चाभेड़ियोंमेंपलाबढ़ाहैऔरआजजंगलसेभागनिकलाहै।

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