बंदरों की बैठक
हिंदीअनुवाद
अजयआनंद
उस पोखर में बारिश का पानी जमा था।उसछज्जेकेबीचोबीचएकटूटाफूटाबैठकबनाथाजोसफेदसंगमरमरसेबनाथा।वहशायदवहाँकीरानीकेलिएबनाथातोसैंकड़ोसालपहलेमरचुकीथी।उसकीगुम्बदनुमाछतअबगिरचुकीथीउसकेमलबेसेनीचेसेवहाँतकआनेवालारास्ताबंदथा।उसी रास्ते से रानी वहाँ आती रही होगी।
उसबैठककीदीवारोंपरसंगमरमरकीजालीबनीहुईथीजिसपरबड़ीहीसुंदरनक्काशीथी।उसपरतरहतरहकेजवाहरातभीजड़ेहुएथीजोउसकीखूबसूरतीमेंचारचाँदलगारहेथे।जबऊपरचाँदनिकलआयातोउसकीरोशनीकेकारणजालियोंकीछायाफर्शपरपड़रहीथी।ऐसालगताथाजैसेकिसीहुनरमंदकारीगरनेकालेरेशमसेबहुतबारीककशीदाकारीकीहो।
मोगली बहुत थका हुआ और भूखा था।जबबंदरोंनेउससेकहाकिवेकितनेबुद्धिमान,चतुरऔरभलेहैंऔरमोगलीउन्हेंछोड़करजानेकिभूलकररहाहैतोमोगलीसेअपनीहँसीरोकीनहींगई।मोगली ठहाके मारकर हँसने लगा।
बंदर चिल्ला रहे थे,हम महान हैं।हम आजाद हैँ।हम कमाल के हैं।इस पूरे जंगल में हम जैसा कोई नहीं।हम सब ऐसा कह रहे हैं इसलिए ये बात सच है।तुम्हें ये बात अभी पता चली है।तुमजाकरजंगलकेप्राणियोंसेयहबातजरूरबतानाताकिउन्हेंभीहमारीमहानताकेबारेमेंपताचलसके।
मोगली ने उनका विरोध नहीं किया।बारी——बारीसेएकबंदरउठताथाऔरबंदरलोगोंकीबड़ाईकेपुलबाँधताथा।बाकीबंदरसैंकड़ोंकीसंख्यामेंवहाँजमाहोकरउनभाषणकोसुनतेथेऔरजोशमेंकिलकारियाँभरतेथे।जबएकबंदरचुपहोताथातोबीचमेंसारेबंदरएकसाथचिल्लाउठते,हम सब ऐसा कहते हैं इसलिए यह सच है।
जबकोईबंदरमोगलीसेइसबारेमेंपूछताथातोमोगलीहाँमेंसिरहिलाताथाऔरअपनीआँखेंमटकाताथा।
उस शोर शराबे से मोगली का सिर भन्ना रहा था।वह सोच रहा था,जरूरतबाकीऔरसियारनेइनसबकोकभीनकभीकाटाहोगा।तभी तो इनपर पागलपन सवार है।यही असली दीवानगी है।पता नहीं ये कभी सोते भी हैं या नहीं।लगता है एक बादल आकर चाँद को ढ़क लेगा।यदिवहबादलबड़ाहुआतोइतनाअँधेरातोहोहीजाएगाजिससेमुझेयहाँसेभागनेकामौकामिलजाए।लेकिन मेरी टाँगें अब जवाब दे रही हैं।