阿贾伊·阿南德著
गागर में सागर की तरह
अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र्येष्टि यज्ञ किया।आहुतिकेबादअग्निदेवप्रकटहुएऔरराजादशरथकोप्रसाददेकरपुत्रप्राप्तिकाआशीर्वाददिया।
समयबीतनेपरराजादशरथकेघरचारपुत्रोंकाजन्महुआ।उनके नाम हैं: राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न
राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं।कौशल्या के बेटे राम थे।कैकेई के बेटे भरत थे।सुमित्रा के बेटे के नाम हैं लक्ष्मण और शत्रुघ्न।
चारोंभाइयोंकोउचितशिक्षादेनेकेलिएगुरुकुलभेजागया,जहाँउन्होंनेसभीविद्याओंमेंमहारतहासिलकी।
उसकेबादमहर्षिविश्वामित्रआएऔरराजादशरथसेरामऔरलक्ष्मणकोमाँगलिया।वेरामऔरलक्ष्मणकीमददसेआश्रमोंकोराक्षसोंकेउत्पातसेमुक्तिदिलानाचाहतेथे।वैसेहीकिसीआश्रमकेपासरामनेदुर्दांतराक्षसीताड़काकावधकिया।
उसकेबादरामऔरलक्ष्मणविश्वामित्रकेसाथराजाजनककीनगरीमिथिलापहुँचे।वहाँपुष्पवाटिकामेंरामऔरसीतानेएकदूसरेकोपहलीबारदेखा।
सीतास्वयंवरमेंरामनेशिवकेधनुषकोतोड़दिया।उसकेबादशर्तकेअनुसारराजाजनकनेसीताकाहाथरामकोसौंपदिया।
उसके बाद राम का विवाह सीता के साथ हो गया।रामकेबाकीभाइयोंकेविवाहमिथिलाकीबाकीराजकुमारियोंकेसाथकरादियागया।
बूढ़ेहोरहेराजादशरथनेरामकोराजाबनानेकानिर्णयलिया।इससे हर तरफ खुशी फैल गई।
रामकेराज्याभिषेककीबातसुनकरमंथराबहुतदुखीहोगई।वह कैकेई की चहेती दासी जो ठहरी।
मंथराकेबहकावेमेंआकरकैकेईनेदशरथसेदोमाँगेंरखीं।पहली माँग थी कि भरत को राजा बना दिया जाए।और दूसरी माँग थी कि राम को वनवास दे दिया जाए।
वचनसेबंधेराजादशरथनेविवशहोकररामकोवनजानेकोकहा।
दशरथकेविश्वस्तमंत्रीसुमंतनेरथपरराम,लक्ष्मणऔरसीताकोबिठायाऔरवनकीओरनिकलपड़े।पीछे——पीछेअयोध्याकीप्रजारोतीविलापतीचलरहीथी।
आगेरास्तेमेंगंगापारकरनेकेलिएराम,लक्ष्मणऔरसीताकोनावकीआवश्यकतापड़ी।निषाद राज केवट ने राम के पैर पखारे।उसेडरथाकिरामकेपैरोंकास्पर्शपाकरचमत्कारसेउसकीनावकिसीमहिलामेंनाबदलजाए।
रामकेपैरपखारनेकेबादकेवटनेउन्हेंतथालक्ष्मणऔरसीताकोगंगापारकरादिया।
दशरथअपनेप्रियपुत्रसेबिछड़नेकाआघातझेलनहींपाएऔरउनकेप्राणपख्रेरुउड़गए।
दशरथकीमृत्युकेबादभरतराजाबननेकोराजीनहींहुए।वेवनमेंरामसेमिलनेगएताकिउन्हेंमनाकरवापसबुलालें।
जबरामवनसेलौटनेकोतैयारनहींहुएतोभरतनेउनकीचरणपादुकामाँगली।अयोध्यामेंचरणपादुकाकोराजसिंहासनपररखदियाऔरफिरराजकाजसंभाला।
रावणकीबहनशूर्पनखावनमेंविहारकरतेहुएरामकीकुटियाकेपासआई।उसने राम से शादी करने की इच्छा जताई।जबविवादबढ़गयातोलक्ष्मणनेचाकूसेशूर्पनखाकीनाककाटदी।
शूर्पनखाकोआहतदेखकरउसकाभाईरावणगुस्सेसेआगबबूलाहोगया।उसने बदला लेने के लिए अपने मामा मारीच की मदद ली।मारीच ने रूप बदल लिया और सोने का हिरण बन गया।
सीताकेकहनेपररामउससोनेकेहिरणकावधकरनेनिकलपड़े।उसकेबादधोखेमेंआकरलक्ष्मणरामकोढ़ूँढ़नेनिकलपड़े।सीता को अकेली पाकर रावण ने उनका अपहरण कर लिया।
वापसआनेपररामऔरलक्ष्मणनेसीताकोकुटियामेंनहींपाया।दोनोंभाईसीताकोखोजनेकेलिएवनमेंइधरउधरभटकनेलगे।
सीताकोखोजतेहुएउन्हेंएकजगहगिद्धकाराजाजटायुघायलअवस्थामेंमिला।उसकी वैसी हालत रावण ने की थी।जटायुनेबतायाकिरावणसीताकोलेकरदक्षिणकीओरगयाथा।
सीताकोखोजतेहुएरामऔरलक्ष्मणकिष्किंधापहुँचे।वहाँ उनकी मुलाकात वानरों के राजा सुग्रीव से हुई।सुग्रीव को उसके भाई बाली ने भगा दिया था।
रामनेबालीऔरसुग्रीवकोद्वंदयुद्धकरनेकोकहा।जबदोनोंभाईलड़रहेथेतोरामनेएकतीरचलाकरबालीकावधकरदिया।उसके बाद सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया।
वर्षाऋतुसमाप्तहोनेकेबादरामनेवानरोंऔररीछोंकोसीताकीखोजकरनेभेजा।चलतेसमयउन्होंनेहनुमानकोनिशानीकेतौरपरएकअंगूठीदी।
सीताकीखोजमेंहनुमानअन्यवानरोंऔररीछोंकेसाथसमुद्रतटतकपहुँचगए।उन्हेंखबरमिलीथीकीसीताकोसमुद्रकेउसपारलंकामेंरखागयाथा।इसलिए हनुमान ने समुद्र को ही लांघ दिया।
हनुमानकोपताचलाकिसीताकोअशोकवाटिकामेंरखागयाथा।वहाँपरकईराक्षसनियोंकोसीताकीनिगरानीकाकामसौंपागयाथा।
उचित समय आने पर हनुमान सीता के पास गए।हनुमान ने सीता को राम वाली अंगूठी दिखाई।इससेसीताकोभरोसाहोगयाकिहनुमानकोरामनेहीभेजाथा।
उसकेबादरावणकेसैनिकोंनेमेघनादकीमददसेहनुमानकोबंदीबनालिया।फिररावणकेआदेशकेअनुसारहनुमानकीपूँछमेंआगलगादीगई।फिर हनुमान ने उस आग से पूरी लंक जला दी।
हनुमानकेलौटनेकेबादरामपूरीवानरसेनालेकरसमुद्रतटपरपहुँचे।वहाँ उन्होंने भगवान शिव की पूजा की।
समुद्र पार करने के लिए राम सेतु का निर्माण हुआ।यह काम नल और नील की निगराणी में हुआ।वे दोनों भाई कमाल के वास्तुशिल्पकार थे।
वानर सेना ने पुल पार किया।फिर लंका में भीषण युद्ध हुआ।सारे राक्षस मारे गए।अंत में राम ने रावण का वध कर दिया।
रावणवधकेबादउसकेभाईविभीषणकोलंकाकाराजाबनादियागया।उसकेबादराम,लक्ष्मणऔरसीताबाकीवानरोंऔररीछोंकेसाथपुष्पकविमानसेअयोध्यालौटनेलगे।
रामकेलौटनेकेबादपूरीअयोध्यामेंदिवालीमनाईगई।उसके बाद राम का राज्याभिषेक हुआ और वे राजा बन गए।