दुख का अधिकार
यशपाल
NCERT解决方案:
第2部分
निम्नलिखितप्रश्नोंकेउत्तर50 - 60शब्दोंमेंलिखिए:
问题1:बाजरकेलोगखरबूजेबेचनेवालीस्त्रीकेबारेमेंक्या——क्याकहरहेथे吗?अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:बाजारकेलोगखरबूजेबेचनेवालीस्त्रीकेबारेमेंतरहतरहकीबातेंकररहेथे।कोईकहरहाथाकिबेटेकीमृत्युकेतुरंतबादबुढ़ियाकोबाहरनिकलनाहीनहींचाहिएथा।कोईकहरहाथाकिसूतककीस्थितिमेंवहदूसरेकाधर्मभ्रष्टकरसकतीथीइसलिएउसेनहींनिकलनाचाहिएथा।किसीनेकहा,किऐसेलोगोंकेलिएरिश्तोंनातोंकीकोईअहमियतनहींहोती।वे तो केवल रोटी को अहमियत देते हैं।अधिकांशलोगउसस्त्रीकोतिरस्कारकीनजरसेदेखरहेथे।
问题2:पास——पड़ोसकीदुकानोंसेपूछनेपरलेखककोक्यापताचला吗?
उत्तर:पास——पड़ोसकीदुकानोंसेपूछनेपरलेखककोउसबुढ़ियाकेदुखकेबारेमेंपताचला।लेखककोपताचलाकिबुढ़ियाकाइकलौताबेटासाँपकेकाटनेसेमरगयाथा।बुढ़िया के घर में उसकी बहू और पोते पोती रहते थे।बुढ़ियाकासारापैसाबेटेकेइलाजमेंखर्चहोगयाथा।बहू को तेज बुखार था।इसलिएअपनेपरिवारकीभूखमिटानेकेलिएबुढ़ियाकोखरबूजेबेचनेकेलिएघरसेबाहरनिकलनापड़ाथा।
问题3:लड़केकोबचानेकेलिएबुढ़ियानेक्या——क्याउपायकिए吗?
उत्तर:लड़केकोबचानेकेलिएबुढ़ियानेजोउचितसमझमेंआयाकिया।उसने झटपट ओझा को बुलाया।ओझा ने झाड़फूँक शुरु किया।ओझाकोदानदक्षिणादेनेकेलिएबुढ़ियानेघरमेंजोकुछथादेदिया।घर में नागदेव की पूजा भी करवाई।
问题4:लेखकनेबुढ़ियाकेदुखकाअंदाजाकैसेलगाया吗?
उत्तर:लेखकनेबुढ़ियाकेदुखकाअंदाजापहलेतोबुढ़ियाकेरोनेसेलगाया।लेखककोलगाकिजोस्त्रीखरबूजेबेचनेकेलिएआवाजलगानेकीबजायअपनामुँहढ़ककररोरहीहोवहअवश्यहीगहरेदुखमेंहोगी।फिरलेखकनेदेखाकिअन्यलोगबुढ़ियाकोबड़ेतिरस्कारकीदृष्टिसेदेखरहेथे।इससे भी लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा लगाया।
问题5:इसपाठकाशीर्षक”दुखकाआधिकार”कहाँतकसार्थकहै吗?स्पष्टकीजिए।
उत्तर:इसपाठमेंमुख्यपात्रएकबुढ़ियाहैजोपुत्रशोकसेपीड़ितहै।उसबुढ़ियाकीतुलनाएकअन्यस्त्रीसेकीगईहैजिसनेऐसाहीदर्दझेलाथा।दूसरी स्त्री एक संपन्न घर की थी।इसलिएउसस्त्रीनेढ़ाईमहीनेतकपुत्रकीमृत्युकाशोकमनायाथा।उसके शोक मनाने की चर्चा कई लोग करते थे।लेकिनबुढ़ियाकीगरीबीनेउसेपुत्रकाशोकमनानेकाभीमौकानहींदिया।बुढ़ियाकोमजबूरीमेंदूसरेहीदिनखरबूजेबेचनेकेलिएघरसेबाहरनिकलनापड़ा।ऐसे में लोग उसे हिकारत की नजर से ही देख रहे थे।एकस्त्रीकीसंपन्नताकेकारणशोकमनानेकापूराअधिकारमिलावहींदूसरीस्त्रीइसअधिकारसेवंचितरहगई।इसलिए इस पाठ का शीर्षक बिलकुल सार्थक है।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:
问题1:जैसेवायुकीलहरेंकटीहूईपतंगकोसहसाभूमिपरनहींगिरजानेदेतींउसीतरहखासपरिस्थितियोंमेंहमारीपोशाकहमेंझुकसकनेसेरोकेरहतीहै।
उत्तर:कोईभीपतंगकटनेकेतुरंतबादजमीनपरधड़ामसेनहींगिरती।हवाकीलहरेंउसपतंगकोबहुतदेरतकहवामेंबनाएरखतीहैं।पतंग धीरे-धीरे बल खाते हुए जमीन की ओर गिरती है।हमारी पोशाक भी हवा की लहरों की तरह काम करती है।कईऐसेमौकेआतेहैंकिहमअपनीपोशाककीवजहसेझुककरजमीनकीसच्चाईजाननेसेवंचितरहजातेहैं।इसपाठमेंलेखकअपनीपोशाककीवजहसेबुढ़ियाकेपासबैठकरउससेबातनहींकरपाताहै।
问题2:इनकेलिएबेटा——बेटी,खसम——लुगाई,धर्म——ईमानसबरोटीकाटुकड़ाहै।
उत्तर:यहएकप्रकारकाकटाक्षहैजोकिसीकीगरीबीऔरउससेउपजीमजबूरीकाउपहासउड़ाताहै।जोव्यक्तियहकटाक्षकररहाहैउसेसिक्केकाएकपहलूहीदिखाईदेरहाहै।हरव्यक्तिरिश्तोंनातोंकीमर्यादारखनाचाहताहै।लेकिनजबभूखकीमजबूरीहोतीहैतोकईलोगोंकोमजबूरीमेंयहमर्यादालांघनीपड़तीहै।उस बुढ़िया के साथ भी यही हुआ था।बुढ़ियाकोनचाहतेहुएभीखरबूजेबेचनेकेलिएनिकलनापड़ाथा।
问题3:शोककरने,गममनानेकेलिएभीसहूलियतचाहिएऔर……दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर:शोकमनानेकीसहूलियतभगवानहरकिसीकोनहींदेताहै।कईबारजीवनमेंकुछऐसीमजबूरियाँयाजिम्मेदारियाँआजातीहैंकिमनुष्यकोशोकमनानेकामौकाभीनहींमिलता।यह बात खासकर से किसी गरीब पर अधिक लागू होती है।गरीब को तो शोक मनाने का अधिकार ही नहीं होता है।