9 हिंदी क्षितिज

ललद्यद

वाख

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार्।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥

इसकवितामेंरोजमर्राकीसाधारणचीजोंकोउपमाकेतौरपरउपयोगकरकेगूढ़भक्तिकावर्णनकियागयाहै।नाव का मतलब है जीवन की नैया।इसनावकोहमकच्चेधागेकीरस्सीसेखींचरहेहोतेहै।



कच्चेधागेकीरस्सीबहुतकमजोरहोतीहैऔरहल्केदबावसेहीटूटजातीहै।हालाँकिहरकोईअपनीपूरीसामर्थ्यसेअपनीजीवननैयाकोखींचताहै।लेकिनइसमेंभक्तिभावनाकेकारणकवयित्रीनेअपनीरस्सीकोकच्चेधागेकाबतायाहै।भक्तकेसारेप्रयासवैसेहीबेकारहोरहेहैंजैसेकोईमिट्टीकेकच्चेसकोरेमेंपानीभरनेकीकोशिशकरताहोऔरवहइधरउधरबहजाताहै।

भक्तइसउम्मीदसेयेसबकररहाहैकिकभीतोभगवानउसकीपुकारसुनेंगेऔरउसेभवसागरसेपारलगायेंगे।उसकेदिलमेंभगवानकेनजदीकपहुँचनेकीइच्छाबारबारउठरहीहै।

खा खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बंद द्वार की।

यदिकोईआडम्बरसेभरीहुईपूजाकरताहैतोउससेकुछनहींमिलताहै।पूजा नहीं करने वाला अपने अहंकार में डूब जाता है।यदिआपअपनीइंद्रियोंपरविजयप्राप्तकरलेतेहैंतोसमझियेकिआपनेअसलीपूजाकी।इंद्रियोंपरविजयप्राप्तकरनेसेहीज्ञानकेबंददरवाजेआपकेलिएखुलजातेहैं।हमारीज्ञानेंद्रियाँहमेंहमारेशरीरसेबाहरकीदुनियासेतालमेलऔरसंपर्कबिठानेमेंमददकरतीहैं।देखना, सुनना, सूंघना, स्पर्श करना और स्वाद लेना;ये सारी क्रियाएँ हमारे लिए बहुत जरूरी हैं।लेकिनयदिआपनेइनकिसीपरसेभीअपनानियंत्रणखोदियातोबड़ीमुश्किलखड़ीहोसकतीहै।उदाहरण के लिए स्वाद को लीजिए।मिठाईयदिज्यादाखाईजायेतोउससेमधुमेहजैसीखतरनाकबीमारीहोजातीहै।

आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई।

किसीकाजबइससंसारमेंजन्महोताहैतोवहएकयुगोंसेचलरहेसीधेतरीकेसेहोताहै।ऊपर वाला सबको एक ही जैसा बनाकर भेजता है।लेकिनजबहमअपनीजीवनयात्रातयकरतेहैंतोबीचमेंकईबारभटकजातेहैं।

योगमेंसुषुम्नानाड़ीपरनियंत्रणकोबहुतमहत्वदियागयाहै।कहागयाहैकियोगसेइसपरनियंत्रणपायाजासकताहैऔरउससेशारीरिकऔरमानसिकफायदेहोतेहैं।येभीबतायाजाताहैकियहनियंत्रणआपकोईश्वरकेकरीबपहुँचनेमेंमददकरताहै।

आखिरमेंजबभक्तकीनावकोभगवानपारलगादेतेहैंतोवहकृतध्नहोकरउन्हेंकुछदेनाचाहताहै।लेकिनभक्तकीश्रद्धाकीपराकाष्ठाऐसीहैकिउसेलगताहैकिउसकेपासदेनेकेलिएकुछभीनहींहै।जोकुछउसनेजीवनमेंपायावोसबतोभगवानकादियाहुआहै।वहतोखालीहाथइससंसारमेंआयाथाऔरखालीहाथहीवापसगया।

थल थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिंदू मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान॥

ईश्वर तो हर जगह और हर प्राणी में वास करते हैं।वे हिंदू या मुसलमान में भेद नहीं करते।यदिआपअपनेअंदरटटोलनेकीकोशिशकरेंगेतोआपकोईश्वरमिलजाएंगे।



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