9 हिंदी क्षितिज

माखनलालचतुर्वेदी

कैदी और कोकिला

第2部分

इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो
चुप चाप मधुर विद्रोह बीज
इस भाँति बो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो!

यहाँपरकविकोलगताहैकिकोयलचुपचापविद्रोहकेबीजबोरहीहै।मनुष्यकीएकअसीमक्षमताहोतीहैऔरवोहैकठिनसेकठिनपरिस्थितिमेंभीउम्मीदकीकिरणदेखनेकी।कविकोयहाँपरकोयलकेगानेमेंउम्मीदकीकिरणदिखरहीहै।

काली तू रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह श्रृंखला खाली,
पहरे की हुंकृति की व्याली,
तिस पर है गाली ए आली!

यहाँपरजेलकीहरचीजकोकालिमालिएबतायागयाहै।कालारंगहमारेयहाँदु:खऔरबुरीभावनाकाप्रतीकहोताहै।उसकालिमापनमेंजबपहरेकाबिगुलबजताहैतोवहगालीकेसमानलगताहै।

इस काले संकट सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!

कविकामाननाहैकिकोयलअपनामधुरसंगीतउसकालेसंकटकेसागरपरबेकारखर्चकररहीहै।कवि को लगता है कि कोयल अपनी जान देने को आमादा है।

तुझे मिली हरियाली डाली
मुझे मिली कोठरी काली!
तेरा नभ भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी
बजा रही तिस पर रणभेरी!

यहाँपरएकगुलामऔरएकआजादजिंदगीकाअंतरदिखायागयाहै।यह बताया गया है कि इनमे जमीन आसमान का अंतर है।जहाँएकचिड़ियाखुलेनभमेंघूमनेकोस्वच्छंदहैवहींएककैदीकोदसफुटकीछोटीसीजगहमेंरहनापड़ताहै।लोगकोयलकेगानेकीप्रशंसाकरतेहैंवहीपरएककैदीकेलिएरोनाभीमनाहै।इस विषमता को देखकर कवि का मन अंदर तक हिल जाता है।

इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ?
कोकिल बोलो तो!

अबकविकहताहैकिकोयलकीपुकारपरवहकुछभीकरनेकोतैयारहै।मोहन का अर्थ है मोहनदास करमचंद गाँधी।कविचाहताहैकिजेलकेबाहरजोभीआजादप्राणिमिले,कोयलकेद्वाराउसमेंगुलामीकेखिलाफलड़नेकीजानफूँकदे।


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