अट नहीं रही है
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
इसकवितामेंकविनेवसंतऋतुकीसुंदरताकाबखानकियाहै।वसंतऋतुकाआगमनहिंदीकेफागुनमहीनेमेंहोताहै।ऐसेमेंफागुनकीआभाइतनीअधिकहैकिवहकहींसमानहींपारहीहै।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
वसंतजबसाँसलेताहैतोउसकीखुशबूसेहरघरभरउठताहै।कभीऐसालगताहैकिबसंतआसमानमेंउड़नेकेलिएअपनेपंखफड़फड़ाताहै।कविउससौंदर्यसेअपनीआँखेंहटानाचाहताहैलेकिनउसकीआँखेंहटनहींरहीहैं।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद गंध पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा श्री
पट नहीं रही है।
पेड़ोंपरनएपत्तेनिकलआएहैं,जोकईरंगोंकेहैं।कहीं——कहींपरकुछपेड़ोंकेगलेमेंलगताहैकिभीनी——भीनीखुशबूदेनेवालेफूलोंकीमालालटकीहुईहै।हरतरफसुंदरताबिखरीपड़ीहैऔरवहइतनीअधिकहैकिधरापरसमानहींरहीहै।
अभ्यास
प्रश्न1:छायावादकीएकखासविशेषताहैअंतर्मनकेभावोंकाबाहरकीदुनियासेसामंजस्यबिठाना।कविताकीकिनपंक्तियोंकोपढ़करयहधारणापुष्टहोतीहै吗?लिखिए।
उत्तर:कविताकीकईपंक्तियोंकोपढ़करयहधारणापुष्टहोतीहै।उदाहरण के लिए;जबकविकहताहै,“आभाफागुनकीतनसटनहींरहीहै।”एकअन्यउदाहरणउसपंक्तिसेलियाजासकताजिसमेंकविकहताहैकिउसकीआँखेंहटनहींरहीहैचाहेवहउन्हेंलाखहटानाचाहताहै।
प्रश्न2:कविकीआँखफागुनकीसुंदरतासेक्योंहटनहींरहीहै吗?
उत्तर:फागुनकीसुंदरताइतनीगजबकीहैकिकविकेनचाहतेहुएभीउसकीआँखेंउसपरसेहटनहींरहीहै।ऐसाअक्सरहोताहैजबहमकिसीअत्यंतखूबसूरतचीजयाव्यक्तिकोदेखतेहैंतोहमारीआँखेंउसपरजैसेअनंतकालकेलिएटिकजातीहैं।
प्रश्न3:फागुनमेंऐसाक्याहोताहैजोबाकीऋतुओंसेभिन्नहोताहै吗?
उत्तर:हर ऋतु की अपनी विशेषता होती है।लेकिन फागुन शायद अन्य सब ऋतुओं से अलग है।फागुनमेंदृश्यपटलपरतरहतरहकेरंगबिखरेहुएमिलतेहैं।यहवहऋतुहोतीहैजबपेड़ोंमेंनएपत्तेनिकलतेहैंऔरनानाप्रकारकेफूलखिलतेहैं।हवा में फूलों की मादक सुगंध भरी हुई होती है।
प्रश्न4:इनकविताओंकेआधारपरनिरालाकेकाव्यशिल्पकीविशेषताएँलिखिए।
उत्तर:निराला प्रकृति के बारे में लिखने वाले कवि थे।उनकी कविताओं में खड़ी हिंदी का प्रयोग हुआ है।वेविभिन्नप्रकारकेउपमाओंऔरअलंकारोंकेसंयोजनसेप्रकृतिकीसुंदरताकाबयानकरतेहैं।