वन एवं वन्य जीव
जैवविविधता:किसीभीक्षेत्रमेंपाएजानेवालेजंतुओंऔरपादपोंकीविविधताकोउसक्षेत्रकीजैवविविधताकहतेहैं।
भारत के वनस्पतिजात और प्राणिजात
भारत जैव विविधता के मामले में संपन्न देश है।विश्व में लगभग 16 लाख प्रजातियाँ हैं।इनमेंसेलगभग8%प्रजातियाँभारतमेंपाईजातीहैं।
भारत के वनस्पतिजात और प्राणिजात | |
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प्राणिजात | 81000 से अधिक प्रजातियाँ |
वनस्पतिजात | 47000 से अधिक प्रजातियाँ |
पुष्पी पादपों की स्थानीय प्रजातियाँ | 15000年 |
पादपजात जिनपर लुप्त होने का खतरा है | लगभग10% |
स्तनधारी जिनपर लुप्त होने का खतरा है | लगभग20% |
लुप्तप्राय प्रजातियाँ जो नाजुक अवस्था में हैं:चीता,गुलाबीसिरवालीबतख,पहाड़ीकोयल,जंगलीचित्तीदारउल्लू,महुआकीजंगलीकिस्म,हुबर्डियाहेप्टान्यूरॉन(घासकीएकप्रजाति),आदि।
लुप्तप्राय प्रजातियों की संख्या:79年स्तनधारी,44पक्षी,15सरीसृप,3उभयचर,और1500पादपप्रजातियाँ।
अंतर्राष्ट्रीयसंरक्षणऔरप्राकृतिकसंसाधनसंरक्षणसंघ(IUCN)केअनुसारप्रजातियोंकावर्गीकरण:
सामान्यप्रजातियाँ
जिसप्रजातिकेजीवितरहनेकेलियेउसकीजनसंख्यासामान्यहोउसप्रजातिकोसामान्यप्रजातिकहतेहैं।उदाहरण: मवेशी, साल, चीड़, कृन्तक, आदि।
संकटग्रस्तप्रजातियाँ
लुप्तहोनेकेकगारपररहनेवालीप्रजातिकोसंकटग्रस्तप्रजातिकहतेहैं।उदाहरण:कालाहिरण,मगरमच्छ,भारतीयजंगलीगधा,भारतीयगैंडा,शेर——पूँछवालाबंदर,संगाई(मणिपुरीहिरण),आदि।
सुभेद्य(易受攻击)प्रजातियाँ
जिसप्रजातिकीजनसंख्याइतनीकमहोजायेकिउसकेलुप्तहोनेकीसंभावनाअधिकहोजायेउसेसुभेद्यप्रजातिकहतेहैं।उदाहरण:नीलीभेड़,एशियाईहाथी,गंगाकीडॉल्फिन,आदि।
दुर्लभप्रजातियाँ
जिसप्रजातिकीसंख्याइतनीकमहोजायेकिउसकेसंकटग्रस्तयासुभेद्यहोनेकाखतराउत्पन्नहोउसेदुर्लभप्रजातिकहतेहैं।उदाहरण:हिमालयकेभूरेभालू,एशियाईभैंस,रेगिस्तानीलोमड़ी,हॉर्नबिल,आदि।
स्थानीयप्रजातियाँ
किसीखासभौगोलिकक्षेत्रमेंसीमितरहनेवालीप्रजातिकोउसक्षेत्रकीस्थानीयप्रजातिकहतेहैं।उदाहरण:अंदमानटील,निकोबारकेकबूतर,अंदमानकेजंगलीसूअर,अरुणाचलप्रदेशकेमिथुन,आदि।
लुप्तप्रजातियाँ
जोप्रजातिअबनहींपाईजातीहै,उसेलुप्तप्रजातिकहतेहैं।कोईकोईप्रजातिकिसीखासस्थान,क्षेत्र,देश,महादेशयापूरीधरतीसेविलुप्तहोजातीहै।उदाहरण: एशियाई चीता, गुलाबी सिरवाली बतख, आदि।
सिमटतेजंगल
वनक्षेत्र | 637293年वर्गकिमी(कुलभौगोलिकक्षेत्रफलका10.39%) |
घनेवन | 11.48% |
खुलेवन | 7.76% |
मैन्ग्रोव | 0.15% |
वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारण:
कृषि में विस्तार
भारतीयवनसर्वेक्षणकेआँकड़ेकेअनुसारभारतमें1951से1980केबीच262000वर्गकिमीसेअधिककेवनक्षेत्रकोकृषिभूमिमेंबदलदियागया।इसकेअलावाआदिवासीक्षेत्रोंकेएकबड़ेभूभागकोझूमखेतीऔरपेड़ोंकीकटाईसेनुकसानपहुँचाहै।
संवर्धनवृक्षारोपण
इसप्रकारकेवृक्षारोपणमेंव्यावसायिकमहत्वकेकिसीएकप्रजातिकेपादपोंकावृक्षारोपणकियाजाताहै।कुछचुनिंदाप्रजातियोंकोबढ़ावादेनेकेलिएभारतकेकईभागोंमेंसंवर्धनवृक्षारोपणकियागया।इससे अन्य प्रजातियों का उन्मूलन हो गया।
विकासपरियोजनाएँ
आजादीकेबादसेबड़ेपैमानेवालीकईविकासपरियोजनाओंपरअमलकियागया।इससे जंगलों की भारी क्षति हुई।नदीघाटीपरियोजनाओंकेकारण1951सेआजतक5000वर्गकिमीसेअधिकवनोंकासफायाहोचुकाहै।
खनन
खननसेकईक्षेत्रोंकीजैविकविविधताकोभारीनुकसानहुआहै।उदाहरण:पश्चिमबंगालकेबक्साटाइगररिजर्वमेंडोलोमाइटकाखनन।
संसाधनों का असमान बँटवारा
अमीरोंकेपासअधिकसंसाधनरहतेहैंजबकिगरीबोंकेपासकमसंसाधनरहतेहैं।अमीरलोगसंसाधनोंकादोहनकरतेहैंजिससेपर्यावरणकोभारीनुकसानहोताहै।
कम होते संसाधनों के सामाजिक प्रभाव:
- संसाधनोंकेकमहोनेसेसमाजपरबुरेप्रभावपड़तेहैं।इससे खासकर से महिलाओं को अधिक कष्ट होता है।अधिकतरस्थानोंपरकुछकाममहिलाएँहीकरतीहैं,जैसेईंधन,चारा,पेयजलऔरअन्यमूलभूतचीजेंइकट्ठाकरना।इनसंसाधनोंकीकमीकेकारणमहिलाओंकोअधिककामकरनापड़ताहै।कुछस्थानोंपरपीनेकापानीलानेकेलियेकईकिलोमीटरपैदलचलकरजानाहोताहै,औरयहकामअक्सरमहिलाओंकीजिम्मेदारीहोतीहै।
- वनोन्मूलनसेबाढ़औरसूखाजैसीप्राकृतिकविपदाएँबढ़जातीहैं।इनप्राकृतिकविपदाओंसेगरीबोंकोअधिककष्टहोताहै।
- वनोन्मूलनसेसांस्कृतिकविविधतामेंभीकमीआतीहै।जोलोगअपनेपारंपरिकतरीकोंसेजीवनयापनकरनेकेलिएवनोंपरनिर्भरथेउन्हेंअबजीविकाकेनयेसाधनोंकीतलाशकेलिएमजबूरहोनापड़ताहै।ऐसाकरनेकीप्रक्रियामेंउनकीजड़ेंछूटजातीहै।उन्हेंअपनापारंपरिकआवासऔरसंस्कृतिकोछोड़नेकेलियेबाध्यहोनापड़ताहै।