कपड़ाउद्योग
भारतकीअर्थव्यवस्थामेंकपड़ाउद्योगकामहत्वपूर्णस्थानहै।कपड़ाउद्योगसेदेशकेकुलऔद्योगिकउत्पादका14%आताहै।रोजगारकेअवसरप्रदानकरनेकेमामलेमेंकृषिकेबादकपड़ाउद्योगकास्थानदूसरेनंबरपरहै।3.5करोड़लोगोंकोइसउद्योगमेंसीधेरूपसेरोजगारमिलताहै।सकल घरेलू उत्पाद में कपड़ा उद्योग का शेअर 4% है।यहभारतकाएकमात्रउद्योगहैजोवैल्यूचेनमेंआत्मनिर्भरहैऔरसंपूर्णहै।
सूतीकपड़ा
पारंपरिकतौरपरसूतीकपड़ेतकलीऔरहथकरघेकेइस्तेमालसेबनतेथे।अठारहवीं सदी के बाद पावर लूम का प्रयोग होने लगा।भारतकाकपड़ाउद्योगअपनीगुणवत्ताकेलियेकिसीजमानेमेंपूरीदुनियामेंमशहूरथा।लेकिनअंग्रेजीशासनकेदौरानइंगलैंडकीमिलोंमेंबनेकपड़ोंकेआयातनेभारतकेकपड़ाउद्योगकोतबाहकरदिया।
वर्तमानमेंभारतमें1600सूतीऔरसिंथेटिककपड़ेकीमिलेंहैं।इनमेंसेलगभग80%प्राइवेटसेक्टरमेंहैंऔरबाकीपब्लिकसेक्टरऔरको——ऑपरेटिवसेक्टरमेंहैं।इनकेअलावाछोटी——छोटीहजारोंऐसीफैक्टरियाँहैंजिनकेपासचारसेलेकरदसकरघेहैं।
सूती कपड़ा उद्योग की अवस्थिति
शुरुआतीदौरमेंकपड़ाउद्योगमहाराष्ट्रऔरगुजरातकेकॉटनबेल्टतकहीसीमितहुआकरताथा।इसक्षेत्रमेंकच्चेमाल,बंदरगाह,यातायातकेसाधन,श्रम,नमजलवायु,आदिकीउपलब्धताथी।इसलिएसूतीकपड़ाउद्योगकेलियेयहआदर्शबेल्टथा।यहउद्योगकपासउगानेवालों,कपासचुननेवालों,धुनाईकरनेवालों,सूतकीकताईकरनेवालों,रंगरेजों,डिजाइनर,पैकिंगकरनेवालोंऔरदर्जियोंकोरोजगारप्रदानकरताहै।कपड़ाउद्योगसेकईअन्यउद्योगोंकाभीपालनपोषणहोताहै;जैसेकेमिकलऔरडाई,मिलस्टोर,पैकेजिंगमैटीरियलऔरइंजीनियरिंगवर्क्स।
कताईकाकामआजभीमुख्यरूपसेमहाराष्ट्र,गुजरातऔरतामिलनाडुमेंकेंद्रितहै।लेकिनबुनाईकाकामदेशकेकईहिस्सोंमेंफैलाहुआहै।
भारत में कपड़े का उत्पादन | ||
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सेक्टर | उत्पाद में शेअर | लूमेज |
मिल | 6% | 1.33लाख |
पावरलूम | 54.17% | 14लाख |
हैंडलूम | 23% | NA |
भारत जापान को सूती धागे निर्यात करता है।सूतीउत्पादअमेरिका,ब्रिटेन,रूस,फ्रांस,पूर्वीयूरोप,नेपाल,सिंगापुर,श्रीलंकाऔरअफ्रिकीदेशोंकोभीनिर्यातकियेजातेहैं।
वर्तमानमेंभारतमें3.4करोड़केआसपासस्पिंडल्सकीक्षमताहै,जोचीनकेबाददूसरीसबसेबड़ीक्षमताहै।सूतीधागेकेविश्वव्यापारके25%परभारतकाकब्जाहै।लेकिनसूतीपोशाकोंकेव्यवसायमेंभारतकाशेअरकेवल4%हीहै।हमारेस्पिनिंगमिलइतनेसक्षमहैंकिविश्वस्तरपरप्रतिस्पर्द्धाकरसकतेहैंऔरजोभीरेशेहमउत्पादितकरतेहैंउनसबकीखपतकरसकतेहैं।लेकिनहमारेबुनाई,कताईऔरप्रक्रमणयूनिटमेंउतनीक्षमतानहींहैंकिदेशमेंबननेवालेउच्चक्वालिटीकेरेशोंकाइस्तेमालकरसकें।
सूती कपड़ा उद्योग की समस्याएँ
बिजलीकीअनियमितसप्लाईऔरपुरानीमशीनेंइसउद्योगकीमुख्यसमस्याएँहैं।इसके अलावा अन्य समस्याएँ हैं;श्रमिकोंकीकमउत्पादकताऔरसिंथेटिकरेशोंसेकड़ीप्रतिस्पर्धा।
जूटउद्योग
कच्चेजूटऔरजूटसेबनेसामानोंकेमामलेमेंभारतविश्वकासबसेबड़ाउत्पादकहै।जूटकेनिर्यातमेंबंगलादेशकेबादभारतदूसरेनंबरपरहै।भारत में 70 जूट मिलें हैं।इनमेंसेज्यादातरपश्चिमबंगालमेंहैंजोमुख्यतयाहुगलीनदीकेकिनारेस्थितहैं।जूटउद्योगएकपतलीबेल्टमेंस्थितहैजो98किमीलंबीऔर3किमीचौड़ीहै।
हुगली घाटी के गुण
हुगली घाटी के मुख्य गुण हैं;जूटउत्पादकक्षेत्रोंसेनिकटता,सस्ताजलयातायात,रेलऔरसड़ककाअच्छाजाल,जूटकेपरिष्करणकेलियेप्रचुरमात्रामेंजलऔरपश्चिमबंगाल,बिहार,उड़ीसाऔरउत्तरप्रदेशसेमिलनेवालेसस्तेमजदूर।
जूटउद्योगसीधेरूपसे2.61लाखश्रमिकोंकोरोजगारप्रदानकरताहै।इसकेअलावायहउद्योग40लाखछोटेऔरसीमांतकिसानोंकाभीभरणपोषणकरताहै।ये किसान जूट और मेस्टा की खेती करते हैं।
जूट उद्योग की चुनौतियाँ
इसउद्योगकोसिंथेटिकफाइबरसेकड़ीप्रतिस्पर्धामिलरहीहै।भारतकेजूटउद्योगकोबंगलादेश,ब्राजील,फिलिपींस,मिस्रऔरथाइलैंडसेभीप्रतिस्पर्धामिलरहीहै।जूटकोप्रश्रयदेनेकेलिएसरकारनेपैकेजिंगमेंजूटकेअनिवार्यउपयोगकीनीतिबनाईहै।इससेदेशकेअंदरहीजूटकीमांगमेंवृद्धिहोरहीहै।जूटकीउत्पादकता,क्वालिटीऔरजूटकिसानोंकीआमदनीकोबढ़ानेकेउद्देश्यसे2005मेंनेशनलजूटपॉलिसीबनाईगईथी।पर्यावरणहितैषीऔरजैवनिम्नीकरणीयपदार्थोंपरजोरबढ़नेकेसाथजूटकाभविष्यउज्ज्वलदिखताहै।जूटउत्पादकेमुख्यबाजारहैंअमेरिका,कनाडा,रूस,अमीरात,ब्रिटेनऔरऑस्ट्रेलिया।
चीनीउद्योग
भारतदुनियामेंचीनीकादूसरासबसेबड़ाउत्पादकहै।गुड़ और खांडसारी का यह सबसे बड़ा उत्पादक है।भारत में 460 से अधिक चीनी मिलें हैं;जोउत्तरप्रदेश,बिहार,महाराष्ट्र,कर्नाटक,तामिलनाडु,आंध्रप्रदेश,गुजरात,हरियाणाऔरमध्यप्रदेशमेंफैलीहुईहैं।साठप्रतिशतमिलेंउत्तरप्रदेशऔरबिहारमेंहैंऔरबाकीमिलेंअन्यराज्योंमेंहैं।यहउद्योगमौसमीहैइसलिएको——ऑपरेटिवसेक्टरकेलियेअधिकउपयुक्तहै।
हालकेवर्षोंमेंचीनीउद्योगउत्तरसेदक्षिणकीओरशिफ्टकररहाहै।विशेष रूप से महाराष्ट्र में ऐसा हो रहा है।महाराष्ट्रमेंपैदाहोनेवालेगन्नेमेंशर्कराकीमात्राअधिकहोतीहै।महाराष्ट्रकीठंडीजलवायुकेकारणगन्नेकीपेराईकेलियेअधिकसमयमिलजाताहै।
चीनी उद्योग की चुनौतियाँ
इस उद्योग की मुख्य चुनौतियाँ हैं;इसकामौसमीहोना,उत्पादनकापुरानाऔरकमकुशलतरीका,यातायातमेंदेरीऔरखोई(baggase)काअधिकतमइस्तेमालनकरपाना।
खनिज पर आधारित उद्योग
लोहा इस्पात उद्योग
लोहेकाइस्तेमालमशीनोंकोबनानेमेंहोताहैइसलिएलोहाइस्त्पातउद्योगएकआधारभूतउद्योगहै।यहीकारणहैकिस्टीलकेउत्पादनऔरखपतकोकिसीभीदेशकेविकासकेसूचककेरूपमेंलियाजाताहै।
भारतमेंकच्चेइस्पातकाउत्पादन32.8मिलियनटनहै।कच्चेइस्पातकेउत्पादनमेंविश्वमेंभारतका9वाँस्थानहै।भारत स्पॉंज लोहे का सबसे बड़ा उत्पादक है।लेकिनभारतमेंप्रतिव्यक्तिइस्पातकीखपतकेवल32किग्राप्रतिवर्षहै।
भारत में स्टील का कुल उत्पादन | |
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वर्ष | उत्पादन (मिलियन टन में) |
1950 - 51 | 1.04 |
1960 - 61 | 2.39 |
1970 - 71 | 4.64 |
1980 - 81 | 6.82 |
1990 - 91 | 13.53 |
1997 - 98 | 23.40 |
2004 - 05 | 32.60 |
वर्तमानमेंभारतमें10मुख्यसंकलितस्टीलप्लांटहैं।इनके अलावा कई छोटे प्लांट भी हैं।स्टीलअथॉरिटीऑफइंडियालिमिटेडइससेक्टरमेंएकमुख्यपब्लिकसेक्टरकंपनीहै।प्राइवेटसेक्टरकीमुख्यकम्पनीहैटाटाआयरनएंडस्टीलकम्पनी।
भारतमेंज्यादातरलोहाइस्पातउद्योगछोटानागपुरकेपठारीक्षेत्रमेंकेंद्रितहै।इसक्षेत्रमेंसस्तालौहअयस्क,उच्चक्वालिटीकाकच्चामाल,सस्तेमजदूरऔररेलऔरसड़कसेअच्छासंपर्कहै।
भारतमेंलोहाइस्पातउद्योगकेखराबप्रदर्शनकेकारण:
- कोकिंग कोल की सीमित उपलब्धता और ऊँची कीमत
- श्रमिकों की कम उत्पादकता
- अनियमित विद्युत सप्लाई
- अविकसितअवसंरचना