10इतिहास

सविनय अवज्ञा आंदोलन

1921年केअंतआतेआते,कईस्थानोंपरआंदोलननियंत्रणसेबाहरहोचुकाथाऔरहिंसकरूपलेनेलगाथा।इसलिएफरवरी1922मेंगाँधीजीनेअसहयोगआंदोलनकोवापसलेनेकानिर्णयलेलिया।इसबीचकांग्रेसकेकुछनेताभीजनांदोलनसेथकसेगएथे।वेप्रांतीयपरिषदोंकेचुनावोंमेंहिस्सालेनाचाहतेथे।गवर्नमेंटऑफइंडियाऐक्ट1919केतहतप्रांतीयपरिषदोंकागठनहुआथा।कुछनेताओंकोलगताथासिस्टमकाभागबनकरअंग्रेजीनीतियोंविरोधकरनाभीमहत्वपूर्णथा।



यहवहसमयथाजबकांग्रेसपार्टीदोगुटोंमेंबँटगईथी।एकगुटमेंमोतीलालनेहरूऔरसीआरदासजैसेपुरानेनेताथे,जिन्होंनेकांग्रेसकेभीतरहीस्वराजपार्टीबनाईऔरकाउंसिलकीराजनीतिमेंभागीदारीकीवकालतकरनेलगे।दूसरेगुटमेंसुभाषचंद्रबोसऔरजवाहरलालनेहरुजैसेनएनेताथेजोजनांदोलनऔरपूर्णस्वराजकेपक्षमेंथे।

इसी अवधि मेंग्रेटडिप्रेशन(आर्थिकमंदी)काअसरभीभारतमेंमहसूसकियाजानेलगा।1926 से खाद्यान्नों की कीमत गिरने लगी।1930 में कीमतें मुँह के बल गिरीं।मंदी के कारण पूरे देश में तबाही का माहौल था।

साइमनकमीशन

अंग्रेजीसरकारनेसरजॉनसाइमनकीअध्यक्षतामेंएकवैधानिककमीशनगठितकिया।इसकमीशनकोभारतमेंसंवैधानिकव्यवस्थाकेकार्यकामूल्यांकनकरनेऔरजरूरीबदलावकेसुझावदेनेकेलिएबनायागयाथा।साइमनकमीशनमेंकेवलअंग्रेजसदस्यहीथे,एकभीभारतीयसदस्यनहींथा।भारतीयनेताओंनेइसकाविरोधकिया,क्योंकिउनकामाननाथाकिएकभीभारतीयकेबगैरभारतकेबारेमेंफैसलेलेनाअनुचितथा।

साइमन कमीशन 1928 में भारत आया।“साइमनवापसजाओ(साइमनगोबैक)“केनारोंकेसाथइसकास्वागतहुआ।साइमनकमीशनकेविद्रोहमेंसभीपार्टियाँशामिलहुईं।इसविरोधकोशांतकरनेकेउद्देश्यसेअक्तूबर1929मेंलॉर्डइरविननेभारतकेलिये”डॉमिनियनस्टैटस”कीओरइशाराकियाथालेकिनइसकीसमयसीमानहींबताईगई।लॉर्डइरविननेभविष्यकेसंविधानपरचर्चाकरनेकेलिएएकगोलमेजसम्मेलनकान्योताभीदिया।



उसदौरानकांग्रेसमेंउग्रनेताप्रभावशालीहोतेजारहेथे।वे अंग्रेजों के प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं थे।कांग्रेस के नरम दल केनेता डॉमिनियन स्टैटसकेपक्षमेंथे,लेकिनकांग्रेसइननेताओंकाप्रभावकमहोताजारहाथा।

लाहौरअधिवेशन

जवाहरलालनेहरूकीअध्यक्षतामेंदिसंबर1929मेंकांग्रेसकालाहौरअधिवेशनहुआथा।लाहौर अधिवेशन मेंपूर्णस्वराजके संकल्प को पारित किया गया।1930年26जनवरीकोस्वाधीनतादिवसघोषितकियागयाऔरलोगोंसेअपीलकीगईकिवेसंपूर्णस्वाधीनताकेलिएसंघर्षकरें।लेकिनपूर्णस्वराजकेप्रस्तावकोजनताकादबादबासमर्थनहीप्राप्तहुआ।

उसकेबादयहमहात्मागाँधीपरछोड़दियागयाकिलोगोंकेदैनिकजीवनकेठोसमुद्दोंकेसाथस्वाधीनताजैसेअमूर्तमुद्देकोकैसेजोड़ाजाए।



दांडीमार्च

गांधीजीनेनमकपरलगनेवालेटैक्सकाविरोधकरनेकानिर्णयलिया।महात्मागाँधीकाविश्वासथाकिपूरेदेशकोएककरनेमेंनमकएकशक्तिशालीप्रतीकात्मकहथियारबनसकताथा।ज्यादातरलोगोंने(जिनमेंअंग्रेजभीशामिलथे)इससोचकोहास्यास्पदकरारदिया।महात्मागांधीनेवायसरॉयइरविनकोएकचिट्ठीलिखी।उस चिट्ठी में 11 मांगें रखीं गईं थीं।कुछउद्योगपतियोंकोलेकरथीं,तोकुछकिसानोंकेलेकर।लेकिनइनमेंसेसबसेमुख्यमांगथीनमककरकोसमाप्तकरनेकीमांग।

गांधीजीनेचेतावनीदीथीकियदि11मार्चतकउनमांगोंकोनहींमानागयातोवेसविनयअवज्ञाआंदोलनछेड़देंगे।लेकिन लॉर्ड इरविन झुकने को तैयार नहीं था।इसलिए12मार्च1930कोगांधीजीदांडीमार्चयानमकआंदोलनशुरुकिया।उनके साथ 78 विश्वस्त अनुयायी शामिल थे।महात्मागांधीऔरउनकेअनुयायी24दिनोंतकपैदलचलेऔरसाबरमतीसेदांडीतककी240मीलकीदूरीतयकी।रास्ते में कई अन्य लोग उनके साथ हो लिए।1930年6अप्रैलकोगाँधीजीनेमुट्ठीभरनमकउठाकरप्रतीकात्मकरूपसेइसकानूनकोतोड़ा।

नमकआंदोलनकेसाथहीपूरेदेशमेंसविनयअवज्ञाआंदोलनकीशुरुआतहुई।देशकेअलग——अलगहिस्सोंमेंहजारोंलोगोंनेनमककानूनकोतोड़ा।सरकारीनमककारखानोंकेसामनेधरनाप्रदर्शनहुएऔरविदेशीकपड़ोंकाबहिष्कारकियागया।किसानोंनेलगानदेनेसेमनाकरदिया,औरआदिवासियोंनेजंगलसंबंधीकानूनोंकाउल्लंघनकिया।

अंग्रेजी शासन की प्रतिक्रिया

अंग्रेजीसरकारनेउसआंदोलनकोकुचलनेकेलिएदमनकीनीतिअपनाई।कांग्रेसकेनेताओंकोबंदीबनायागया,जिसकेकारणकईस्थानोंपरहिंसकझड़पेंहुईं।लगभगएकमहीनेबादगांधीजीकोभीहिरासतमेंलेलियागया।अंग्रेजी राज के प्रतीकों पर हमले शुरु हुए;जैसेपुलिसथाना,नगरपालिकाभवन,कोर्टऔररेलवेस्टेशन।सरकारकारवैयाइतनाक्रूरथाकिमहिलाओंऔरबच्चोंकोभीपीटागया।लगभग एक लाख लोगों को बंदी बनाया गया।

गोल मेज सम्मेलन

जबआंदोलनहिंसकरूपलेनेलगातोगांधीजीनेआंदोलनसमाप्तकरदिया।उन्होंने5मार्च1931कोइरविनकेसाथएकसमझौतेपरहस्ताक्षरकिया,जिसेगांधी——इरविनपैक्ट कहा जाता है।उससमझौतेकेअनुसार,गांधीजीलंदनमेंहोनेवालेगोलमेजसम्मेलनमेंशामिलहोनेकेलिएतैयारहोगए।उसकेबदलेमेंसरकारराजनैतिककैदियोंकोरिहाकरनेकोमानगई।

गांधीजीदिसंबर1931मेंगोलमेजसम्मेलनकेलिएलंदनगए।लेकिनवार्ताविफलहोगईऔरगांधीजीकोखालीहाथलौटनापड़ा।जबगांधीजीभारतलौटे,तोदेखाकिअधिकांशनेताजेलमेंथे,औरकांग्रेसकोगैरकानूनीघोषितकरदियागयाथा।सरकारनेमीटिंग,धरनाऔरप्रदर्शनकोरोकनेकेलिएकईकदमउठाएथे।महात्मागांधीनेदोबारासविनयअवज्ञाआंदोलनशुरुकिया।लेकिन 1934 आते-आते आंदोलन धीमा पड़ गया।




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