Panchatantra
बहुतसमयपहलेकीबातहै,एकवनमेंएकअजीबसीचिड़ियारहतीथी।लगताहैकिसीशापकेकारणउसचिड़ियाकेदोसिरथे।इस तरह से उनके पास एक शरीर लेकिन दो दिमाग थे।चिड़िया का जीवन सामान्य तरीके से चल रहा था।हर सुबह वह उठकर भोजनं की तलाश में निकल जाती थी।जबएकसिरखानाढूंढताथातोदूसरासिरखतरेकेप्रतिसचेतरहताथा।इसतरहसेदोनोंसिरोंमेंबड़ाहीअच्छातालमेलरहताथा।
एकदिनजबवहचिड़ियाजमीनपरफुदकरहीथीतोउसनेएकआकर्षकफलदेखा।वहफलइतनाअद्भुतलगरहाथाकिदोनोंहीसिरउसकेस्वादकामजालेनाचाहतेथे।बसउनमेइसबातकोलेकरझगड़ाशुरूहोगयाकिउसफलकोकौनखायेगा।पहलेसिरनेकहा,“इसेमैंनेपहलेदेखाहै,इसलिएइसेमैंखाऊँगा”।दुसरेसिरनेकहा,“इसफलकेलिएआपसमेंझगड़नाअच्छानहींहै।क्योंनहमइसफलकोअपनीपत्नीकोउपहारकेतौरपरदेदे।ं”इस तरह से दोनों में सुलह हो गई।
लेकिनइसकेबादपहलेसिरकोलगनेलगाकिदूसरासिरतोबाजीमारलेगया।वहइसबातकाबदलालेनेकेलिएसहीमौकेकाइंतज़ारकरनेलगा।वह मौक़ा जल्दी ही: गया।उसने किसी झाड़ी से एक जहरीले फल को लटकते देखा।उसने आव देखा ताव और उस फल को निगल गयाइसप्रकारसेउसअजीबसीचिड़ियाकादुखदअंतहोगया।
इसकहानीसेहमेंयेशिक्षामिलतीहै,“दुविधामेंरहनेसेनुकसानहीहोताहै।”
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