Panchatantra
किसी नदी के किनारे बरगद का एक बड़ा पेड़ था ।उसपेड़कीएकशाखापरएककौवाअपनीपत्नीकेसाथरहताथा।कौवेनेउसपेड़परएकबहुतहीसुन्दरघोसलाबनाया।कौवी ने घोसले में कुछ अंडे दिए ।वहबड़ीबेसब्रीसेअंडोंसेबच्चेनिकलनेकाइंतज़ारकररहीथी।
लेकिनउसीपेड़कीएककोटरमेंएकदुष्टनागरहताथा।नागतोबसइसबातकाइंतज़ारकररहाथाकिकबकौवाऔरकौवीखानाढूंढनेजाएँ।एक दिन नाग को मौक़ा मिल ही गया ।वह उस डाल पर चढ़ा और अंडों को सफाचट कर गया ।कौवा और कौवी भी तब तक वहां पहुँच चुके थे ।उन्होंनेनागसेबहुतमिन्नतेंकीलेकिननागपरउसकाकोईअसरनहींहुआ।
अब तो यह हर बार का किस्सा हो गया ।कौवी बड़ी उम्मीद से अंडे देती थी ।और हर बार वह दुष्ट नाग उनका निवाला बना लेता था ।बेचारी कौवी बहुत उदास रहने लगी थी ।लेकिनकौवाउसनागसेहमेशाकेलिएछुटकारापानेकाउपायसोचतारहताथा।एक दिन उसके दिमाग की बत्ती जल ही गई ।
एक दिन राजकुमारी नदी में नहाने आई ।कौवा बस सही मौके की तलाश में था ।जबराजकुमारीअपनीसहेलियोंकेसंगमौजमस्तीमेंखोईहुईथीतोकौवेनेउसकेकपड़ोपरपड़ेहारकोउठालिया।हारकोलेकरकौवाउड़ाऔरउसेनागकेकोटरमेंगिरादिया।
जबराजकुमारीनहाकरलौटीतोउसेअपनाहारनहींमिला।उसने राजा से यह बात बताई ।राजानेफ़ौरनअपनेसिपाहियोंकोहारकीखोजमेंभेजा।उनमेसेएकसैनिकनेनागकेबिलमेंहारकोदेखलिया।फिर सैनको ने नाग को मारकर हार वापस ले लिया ।इसकेबादकौवेकापरिवारफलनेफूलनेलगाऔरवहसुखसेरहनेलगा।
इसकहानीसेहमेंयहशिक्षामिलतीहैकिसहीअकललगानेसेहमबड़ीसेबड़ीमुसीबतकोभीपछाड़सकतेहैं।
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