Panchatantra
एक धोबी के पास एक गदहा था।धोबीगदहेसेकमड़तोड़मेहनतकरवाताथाजिससेगदहेकीइतनीभीफुरसतनहींमिलतीथीकिठीकसेखानाखापाए।कुपोषण के कारण गदहा बहुत कमजोर हो गया था।धोबीकोभीगदहेकीहालतपरतरसआताथाऔरवहकोईउपायसोचरहाथाकिगदहेकोभरपूरखानामिलसके।लेकिनइसकेलिएधोबीअपनेकामसेसमझौतानहींकरनाचाहताथा।
एक दिन धोबी को कहीं से शेर की खाल मिली।उस खाल को देखते ही धोबी के दिमाग की बत्ती जली।अबरोजरातकोवहगदहेकोशेरकीखालपहनादेताथाऔरखेतोंमेंचरनेकेलिएछोड़देताथा।किसानउसेशेरसमझकरउसकेपासजानेकीहिम्मतनहींजुटापातेथे।इसतरहसेकुछसमयबीताऔरपौष्टिकखुराकमिलनेसेवहगदहाफिरसेतंदुरुस्तहोगया।
ऐसीहीकिसीचांदनीरातकोगदहाकिसीखेतमेंमक्केकेनरम——नरमदानेपरहाथसाफ़कररहाथा।तभीउसेदूरसेकिसीगदहीकेरेंकनेकीआवाजसुनाईपड़ी।गदहाअपनेउन्मादपरनियंत्रणनहींकरपायाऔरजवाबमेंवहभीरेंकनेलगा।खेतकीरखवालीकररहेकिसानोंकोगदहेकीअसलियतकापताचलगया।फिरक्याथा,उन्होंनेउसगदहेकीजमकरधुनाईकरदी।
इसकहानीसेहमेंयहशिक्षामिलतीहैकिपोशाकबदलनेसेहीआपकाव्यक्तित्वनहींबदलजाता।
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