Panchatantra
किसी गाँव में एक गरीब किसान रहता था।उसकेपासथोड़ीसेजमीनथीजिससेवहबड़ीमुश्किलसेअपनेपरिवारकापेटपालताथा।एकदिन,जबवहअपनेखेतमेंकामकररहाथातोउसनेपासमेंचींटियोंकीबाम्बीपरएकभयानकनागकोफनकाढ़ेदेखा।किसानकोलगाकिनागदेवतानेउसेसाक्षातदर्शनदेदिए।वहकिसानपूजापाठमेंविश्वासरखताथाऔरइसलिएउसनेउसनागकीपूजाशुरूकरदी।वहजल्दीसेअपनेघरगयाऔरएककटोरीमेंदूधलेकरआया।उसनेनागकेसामनेदूधकाकटोरारखदियाऔरफिरअपनेकाममेंलगगया।अगलेदिनजबवहफिरसेदूधलेकरआयातोउसकेआश्चर्यकाठिकानानरहा।पहलेसेरखेकटोरेमेंउसेसोनेकाएकसिक्कामिला।उसनेनागदेवताकाआशीर्वादसमझकरउससिक्केकोरखलिया। इसके बात यह रोज की बात हो गई। हर दिन वह किसान एक कटोरा दूध चढ़ाता था और बदले में उसे सोने का एक सिक्का मिल जाता था। लगातार मिलने वाले सोने के सिक्कों के कारण जल्दी ही वह अमीर आदमी बन गया।
इस तरह से काफी समय बीत गया।एकदिनकिसीजरूरीकामसेकिसानकोपासकेशहरजानापड़ा।उसने नाग और सिक्कों वाली बात अपने बेटे को बताई।उसनेअपनेबेटेसेकहा,“मेरीअनुपस्थितिमेंतुमरोजनागदेवताकोदूधजरूरचढ़ाना।बीच में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।”
लेकिन किसान का बेटा बड़ा लालची था।उसनेसोचाकिनागकीबाम्बीमेंजरूरकोईखजानाछिपाहोगा।उसनेसोचाकिरोजकीमेहनतसेअच्छाहोगाकिएकहीबारमेंखजानाहथियालियाजाए।ऐसा सोचकर वह नाग को मारने के लिए गया।लेकिननागनेउसेडसलियाऔरकिसानकाबेटावहीँढेरहोगया।
इसकहानीसेहमेंयेशिक्षामिलतीहैकिलालचबुरीबलाहै।
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