Panchatantra

साधु और चूहा

किसी मंदिर में एक साधु रहता था।उस मंदिर के पास का गाँव काफी संपन्न था।इसलिएसाधुकोभोजनऔरवस्त्रकीकोईकमीनहींहोतीथी।ज्यादातरगांवालेसाधुकेलिएकुछनकुछदानदक्षिणामेंअवश्यलातेथे।साधु भी पूरे मन से उन्हें आशीर्वाद देता था।रातकेभोजनकेबादवहसाधुबचाहुआखानामिटटीकेएकबर्तनमेंरखकरछींकेपररखदेताथा।छींका बहुत ऊंचाई पर टंगा हुआ था।

साधुकाजीवनसामान्यगतिसेचलरहाथालेकिनपिछलेकईदिनोंसेएकअजीबघटनाहोनेलगीथी।रोजरातकोएकचूहाउसबर्तनमेंसेखानाचुरारहाथा।साधुकोइसबातकाआश्चर्यथाकिकोईसाधारणचूहाकैसेउतनीऊंचाईतककूदसकताहै।साधु ने यह बात अपने एक मित्र से बताई।दोनोंनेतयकियाकिउसरहस्यकापतालगायाजाएजिससेचूहेकोइतनाऊंचाकूदनेकीताकतमिलतीहै।

把食物放在锅里

साधुकेमित्रनेसलाहदीकिउन्हेंचूहेकेबिलकोखोदकरयहपतालगानाचाहिएकिकौनसीचीजचूहेमेंइतनीशक्तिभरतीहै।जबउन्होंनेचूहेकेबिलकोखोदातोवेअचंभितरहगए।उन्हें बिल में से सोने की एक शिला मिली।तब साधु ने बड़ी अच्छी व्याख्या की।उसनेकहाकिचूंकिचूहाइतनीविशालधनराशिपरबैठाहुआथाइसलिएउसकाआत्मविश्वासबढ़ाहुआथा।उन्होंनेसोनेकीउसशिलाकोराजसीखजानेमेंजमाकरवादिया।उसकेबादवहचूहाकभीभीइतनाऊंचानहींकूदपायाकिछींकेमेंसेखानाचुरासके।

इसकहानीसेहमेंयेशिक्षामिलतीहैकियदिआपकेपासप्रचुरमात्रामेंसंसाधनहोतोआपकाआत्मविश्वासबढ़जाताहै।



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