Panchatantra
एकनगरकेबाहरएकविशालवटवृक्षकेनिकटएकमंदिरकानिर्माणहोरहाथा।वहांपरकईतरहकेकारीगरकामकररहेथे,जैसेकिराजमिस्त्री,बढई,लोहार,मजदूर,आदि।वट वृक्ष पर बंदरों का एक झुण्ड रहता था।हरदिन,जबकारीगरदोपहरकेभोजनकेलिएजातेथे,तोबंदरउसजगहपरकब्जाजमालेतेथेऔरवहांपड़ीचीजोंसेखेलाकरतेथे।
ऐसेहीएकदिन,दोपहरमेंबन्दरवहांपरउत्पातमचारहेथे।एक बन्दर लकड़ी के एक बड़े लट्ठे से खेल रहा था।लगताहैकिबढ़ईनेउसलट्ठेकोआधाहीकाटाथाऔरखांचमेंएकफन्टीफंसाकरचलागयाथा।वहबन्दरउसफन्टीमेंकुछज्यादाहीरूचिदिखारहाथा।अपनीजिज्ञासाशांतकरनेकेलिएवहबन्दरउसफन्टीकोनिकालनेकोकोशिशकररहाथा।काफीजोरलगानेपरबन्दरनेएकझटकेमेंउसफन्टीकोखींचलिया।लेकिनऐसाकरनेमेंउसकीकमरसेनीचेकाहिस्साउसअधकटेलट्ठेकीखांचमेंफंसगया।बहुतदेरतकघनघोरपीड़ाझेलनेकेबादबन्दरनेवहींदमतोड़दिया।
इसकहानीसेहमेंयेशिक्षामिलतीहैकिहमेंदूसरेकेकाममेंदखलनहींदेनाचाहिए।
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