Panchatantra
किसी तालाब में एक कछुआ रहता था।उसतालाबमेंदोहंसभीरहतेथेजिनकीकछुएसेबड़ीअच्छीदोस्तीथी।
वेहंसउसकछुएकोहमेशादूरदेशों,वनोंऔरपहाड़ोंकीकहानियांसुनायाकरतेथेक्योंकिवेलम्बी——लम्बीयात्राएंकियाकरतेथे।वेअक्सरयहभीबतातेथेकिआसमानसेदेखनेपरधरतीकितनीसुन्दरलगातीहै।
कछुआ भी बादलों में घूमना चाहता था।उसनेहंसोंसेनिवेदनकियाकिकोईतरकीबलगाकरउसेभीआसमानकीसैरकराएं।हंसनेवादाकियावेइसकाकोईनकोईउपायजरूरसोचेंगे।
उसकेबादहंसएकछड़ीलेकरआएऔरकछुएसेकहाकिउसेबीचसेमुंहसेपकड़ले।हंसोंनेकहावेउसछड़ीकोदोनोंतरफसेअपनीचोंचोंसेपकड़लेंगेऔरकछुएकोलेकरआसमानमेंउड़जाएंगे।
लेकिनउन्होंनेयहभीबतायाकिउड़ानभरतेसमयकछुएकोअपनामुंहबंदरखनाहोगावरनावहआसमानसेसीधाधरतीपरआगिरेगा।
इस तरह से कछुए की रोमांचकारी उड़ान शुरू हो गई।पलक झपकते ही वे हंस हवा से बातें करने लगे।
कछुए के लिए तो यह जैसे किसी स्वप्न के समान था।अपनीपूरीजिंदगीमेंउसनेअपनेतालाबसेबाहरकुछभीनहींदेखाथा।
कुछ देर बाद वे किसी गाँव के ऊपर से उड़ रहे थे।गाँव के कई लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे।किसीनेकभीभीकछुएकोइसतरहआसमानमेंउड़तेनहींदेखाथा।चारों और भारी कोलाहल मचा हुआ था।कछुआ सबों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।
उसे लगा कि वह स्टार बन गया है।अपनेउल्लासकोजाहिरकरनेकेलिएवहजोरसेचिल्लाया।लेकिनउसकाउल्लासक्षणिकथा,क्योंकिवहधड़ामसेजमीनपरगिराऔरउसकेप्राणपखेरूउड़गए।
इसकहानीसेहमेंयेशिक्षामिलतीहैकिहमेंउचितसमयआनेपरहीबोलनाचाहिए।
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