कठपुतली
भवानीप्रसादमिश्र
कठपुतली गुस्से से उबलती बोली
ये धागे क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो;मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
सुनकर बोलीं और-और कठपुतलियाँ
कि हाँ, बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए।
मगर……
पहली कठपुतली सोचने लगी
ये कैसी इच्छा मेरे मन में जगी?
हमसबजानतेहैंकिकठपुतलीधागेसेबंधीहोतीहैऔरसूत्रधारकेइशारेपरनाचतीहैं।पराधीनहोनेकेकारणकठपुतलीकाअपनाकोईअस्तित्वनहींहोताहै।इसकवितामेंएककठपुतलीकेमनमेंस्वतंत्रहोनेकीइच्छाजागजातीहै।वहचाहतीहैकिउसकेबंधनटूटजाएँताकिवहअपनीमनमर्जीसेनाचसके।लेकिनकईलोगोंकोगुलामीकीऐसीआदतपड़जातीहैकिउन्हेंआजादहोनेसेभीडरलगताहै।स्वतंत्रताकेसाथएकजिम्मेदारीभीआतीहैजिसेनिभानाकठिनहोताहै।पहलीकठपुतलीकोशायदइसबातकीभीचिंताहोरहीहै।
कवितासे
प्रश्न 1: कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर:कठपुतली सूत्रधार के बंधन में जकड़ी हुई थी।इसलिए उसे गुस्सा आया।
प्रश्न2:कठपुतलीकोअपनेपाँवोंपरखड़ीहोनेकीइच्छाहै,लेकिनवहक्योंनहींखड़ीहोती吗?
उत्तर:कठपुतलीआजादहोनाचाहतीहैलेकिनउसेलगताहैकिउसकेलियेबहुतमेहनतकरनीपड़ेगी।इसलिएवहभविष्यकीचिंताकररहीहैऔरअभीखड़ीनहींहोरहीहै।
प्रश्न3:पहलीकठपुतलीकीबातदूसरीकठपुतलियोंकोक्योंअच्छीलगी吗?
उत्तर:पहलीकठपुतलीकीतरहअन्यकठपुतलियाँभीस्वतंत्रहोनाचाहतीहैं।इसलिएपहलीकठपुतलीकीबातदूसरीकठपुतलियोंकोअच्छीलगी।
प्रश्न4:पहलीकठपुतलीनेस्वयंकहाकि——“येघागे/क्योंहैंमेरेपीछे——आगे吗?/ इन्हें तोड़ दो;/मुझेमेरेपाँवोंपरछोड़दो।”——तोफिरवहचिंतितक्योंहुईकि——“येकैसीइच्छा/मेरेमनमेंजगी吗?“नीचेदिएवाक्योंकीसहायतासेअपनेविचारव्यक्तकीजिए:
- उसेदूसरीकठपुतलियोंकीजिम्मेदारीमहसूसहोनेलगी।
- उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
- वहस्वतंत्रताकीइच्छाकोसाकारकरनेऔरस्वतंत्रताकोहमेशाबनाएरखनेकेउपायसोचनेलगी।
- वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर:वहस्वतंत्रताकीइच्छाकोसाकारकरनेऔरस्वतंत्रताकोहमेशाबनाएरखनेकेउपायसोचनेलगी।