7 हिंदी बसंत

रहीम के दोहे

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
विपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत॥

रिश्तेदार——नातेदारकईरीतिरिवाजोंकेकारणबनतेहैं।लेकिनसच्चामित्रउसीकोमाननाचाहिएजोविपत्तिकेसमयभीआपकासाथदे।

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़सि छोह॥

मछली और पानी एक साथ रहते हैं।लेकिनजबमछलीजालमेंफँसजातीहैतोपानीउसेछोड़करजालसेनिकलजाताहै।लेकिनउसकेबावजूदमछलीकभीभीजलकामोहनहींछोड़तीहै।बल्किजलकेवियोगमेंमछलीअपनेप्राणत्यागदेतीहै।

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति सचहिं सुजान॥

पेड़अपनेफलोंकोनहींखाताहैऔरनहीतालाबअपनापानीपीताहै।ठीकउसीतरहसज्जनलोगहमेशादूसरोंकीभलाईकेलिएसंपत्तिजमाकरतेहैं।

थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घबरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात॥

क्वारकेमहीने(वर्षाऋतुकेबाद)मेंजोबादलआतेहैंवेबिनाकारणहीगरजतेहैं।क्वारकेबादलोंमेंबरसनेकीक्षमतासमाप्तहोचुकीहोतीहै।ऐसालगताहैकिकोईव्यक्तिअपनेपराक्रमीभूतकालकेबारेमेंबातेंकरकेबिनामतलबदूसरोंपररौबजमारहाहो।

धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह॥

हमेंपृथ्वीसेसीखनाचाहिएकिकैसेवहजाड़ा,गर्मीऔरबरसातकाडटकरसामनाकरतीहै।हमेंअपनेशरीरकोवैसाहीबनानाचाहिएताकिहमभीहरमौसमकाडटकरसामनाकरसकें।

नोट:इसअध्यायकेबाददियेगयेप्रश्नोंकेउत्तरआपआसानीसेइनदोहोंकेभावार्थोंमेंपासकतेहैं।


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